द फॉलोअप डेस्क
भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक अजीब मामला सामने आया है। यहां एक व्यक्ति ने सर्वोच्च न्यायालय में दावा किया गया है कि कोई उसके दिमाग को एक मशीन से नियंत्रित कर रहा है। वहीं, इस मामले ने न केवल असाधारण दावे बल्कि इसके द्वारा उठाए गए कानूनी सवालों की वजह से भी काफी हलचल मचायी है। बता दें कि इस मामले में याचिकाकर्ता ने पहली याचिका आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था।
इस मामले में याचिकाकर्ता का कहना है कि कुछ व्यक्तियों ने केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL) से इंसान का दिमाग पढ़ने वाली मशीन अवैध रूप से प्राप्त की है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि इस तकनीक की मदद का इस्तोमाल कर उनके विचारों और कार्यों में हेरफेर किया जा रहा है। वहीं, याचिकाकर्ता के इस दावे का समर्थन किसी फोरेंसिक साक्ष्य द्वारा नहीं किया गया है।उक्त मामले में सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति एहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने भी आश्चर्य प्रकट किया, लेकिन हस्तक्षेप के लिए कानूनी आधार की कमी पर ध्यान दिया। इस दौरान पीठ ने कहा कि “याचिकाकर्ता ने एक असामान्य अनुरोध किया है कि उसका दिमाग एक मशीन के माध्यम से दूसरों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है, लेकिन “हमें इस मामले में हस्तक्षेप करने की कोई गुंजाइश या कारण नहीं दिख रहा है।”
वहीं, इस मामले की सुनवाई के समय सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का पक्ष भी सुना। इस दौरान CBI ने कहा कि याचिकाकर्ता पर ऐसी कोई फोरेंसिक जांच नहीं की गई है। इस कारण निष्क्रिय करने के लिए कोई मशीन नहीं है।